गायत्री मंत्र (Gayatri Mantra) हिंदू धर्म का सबसे पवित्र और प्रभावशाली मंत्र माना जाता है, जिसे वेदों का सार भी कहा जाता है। यह मंत्र ऋग्वेद में उल्लिखित है और इसे ‘सावित्री मंत्र’ के नाम से भी जाना जाता है। इस मंत्र का उच्चारण करने से व्यक्ति के मानसिक, शारीरिक और आध्यात्मिक विकास में मदद मिलती है।
गायत्री मंत्र
ॐ भूर्भुवः स्वः। तत्सवितुर्वरेण्यं। भर्गो देवस्य धीमहि। धियो यो नः प्रचोदयात्॥
(Oṃ Bhūr Bhuvaḥ Svaḥ, Tat-savitur Vareṇyaṃ, Bhargo Devasya Dhīmahi, Dhiyo Yo Naḥ Prachodayāt)
गायत्री मंत्र के अर्थ
हम उस परमात्मा (सूर्य रूपी प्रकाश) का ध्यान करते हैं, जो धरती, आकाश और स्वर्ग का स्वामी है। वह हमें सन्मार्ग पर चलने की बुद्धि प्रदान करे और हमारे मन को ज्ञान से प्रकाशित कर
गायत्री मंत्र (Gayatri Mantra) भगवान सूर्य की उपासना का प्रतीक है और बुद्धि, ज्ञान तथा आंतरिक प्रकाश की प्राप्ति के लिए इसका जप किया जाता है। इस मंत्र का अर्थ है कि हम उस परमात्मा (सूर्य रूपी प्रकाश) का ध्यान करते हैं, जो धरती, आकाश और स्वर्ग का स्वामी है, और वह हमें सन्मार्ग पर चलने की बुद्धि प्रदान करे तथा हमारे मन को ज्ञान से प्रकाशित करे।
गायत्री मंत्र के फायदे:
गायत्री मंत्र (Gayatri Mantra) का जप करने से कई लाभ होते हैं। यह मंत्र व्यक्ति की बुद्धि को तेज करता है और ज्ञान के स्तर को ऊँचा उठाता है, विशेषकर विद्यार्थियों के लिए यह अत्यंत लाभकारी है। इसके नियमित जप से मानसिक शांति और स्थिरता मिलती है तथा यह तनाव और चिंता को कम करता है।
आध्यात्मिक उन्नति के लिए भी गायत्री मंत्र का विशेष महत्व है क्योंकि यह आत्मा को पवित्र करता है और व्यक्ति को आध्यात्मिक ऊँचाई की ओर ले जाता है। इसके अलावा, इस मंत्र के जप से शरीर और मन दोनों स्वस्थ रहते हैं और नकारात्मक ऊर्जा दूर होती है।
गायत्री मंत्र कब करना चाहिए
गायत्री मंत्र (Gayatri Mantra) का जप करने के लिए सबसे उत्तम समय ब्रह्म मुहूर्त (सुबह 4 से 6 बजे) माना गया है। इसके अलावा, सूर्योदय और सूर्यास्त के समय भी इसका जप फलदायी होता है। दिन में तीन बार—सुबह, दोपहर और शाम—इस मंत्र का जाप करने की परंपरा है, जिसे संध्या वंदन कहा जाता है।
किसी भी शुभ अवसर, धार्मिक कार्य या विशेष अनुष्ठान में भी गायत्री मंत्र का जप करना अत्यंत शुभ माना जाता है। मंत्र जाप के दौरान मन शांत और एकाग्र होना चाहिए, तथा स्नान करके स्वच्छ वस्त्र धारण करके पूर्व या उत्तर दिशा की ओर मुख करके बैठना चाहिए।
इस मंत्र का शुद्ध और स्पष्ट उच्चारण तथा रुद्राक्ष या तुलसी की माला से 108 बार जाप करना विशेष लाभकारी होता है। गायत्री मंत्र केवल एक मंत्र नहीं, बल्कि एक आध्यात्मिक साधना है, जो जीवन में सकारात्मकता, ज्ञान और शांति लाता है और व्यक्ति को ईश्वरीय चेतना से जोड़ता है।