ॐ जय जगदीश हरे आरती (Om Jai Jagdish Hare Aarti)

ॐ जय जगदीश हरे आरती (Om Jai Jagdish Hare Aarti)

ॐ जय जगदीश हरे आरती (Om Jai Jagdish Hare Aarti)” आरती एक अत्यंत प्रसिद्ध हिन्दू भजन है, जिसे भगवान विष्णु या श्री जगदीश के पूजन में गाया जाता है। यह आरती भगवान श्री कृष्ण या भगवान विष्णु के अद्भुत रूपों और उनके दिव्य गुणों का वर्णन करती है। इस आरती में भगवान के सर्वव्यापी स्वरूप की स्तुति की जाती है और भक्तों से उनके कृपा, आशीर्वाद और संरक्षण की प्रार्थना की जाती है।

यह आरती विशेष रूप से धार्मिक आयोजनों, पूजा-पाठ और मंदिरों में गाई जाती है। “ॐ जय जगदीश हरे” शब्दों से भगवान विष्णु की महिमा का उद्घोष होता है, और यह भजन सुनने और गाने से भक्तों को मानसिक शांति और आध्यात्मिक उन्नति मिलती है।

इस आरती का प्रभाव अत्यधिक होता है और यह मनुष्य के जीवन में सुख, समृद्धि और परमात्मा के प्रति भक्ति की भावना को जागृत करती है।

ओम जय जगदीश हरे, स्वामी! जय जगदीश हरे।
भक्त जनों के संकट, क्षण में दूर करे॥ ओम जय जगदीश हरे।


जो ध्यावे फल पावे, दुःख विनसे मन का। स्वामी दुःख विनसे मन का।
सुख सम्पत्ति घर आवे, कष्ट मिटे तन का॥ ओम जय जगदीश हरे।

मात-पिता तुम मेरे, शरण गहूं मैं किसकी। स्वामी शरण गहूं मैं किसकी।
तुम बिन और न दूजा, आस करूं जिसकी॥ ओम जय जगदीश हरे।


तुम पूरण परमात्मा, तुम अन्तर्यामी। स्वामी तुम अन्तर्यामी।
पारब्रह्म परमेश्वर, तुम सबके स्वामी॥ ओम जय जगदीश हरे।

तुम करुणा के सागर, तुम पालन-कर्ता। स्वामी तुम पालन-कर्ता।
मैं मूरख खल कामी, कृपा करो भर्ता॥ ओम जय जगदीश हरे।


तुम हो एक अगोचर, सबके प्राणपति। स्वामी सबके प्राणपति।
किस विधि मिलूं दयामय, तुमको मैं कुमति॥ ॐ जय जगदीश हरे।

दीनबन्धु दुखहर्ता, तुम ठाकुर मेरे। स्वामी तुम ठाकुर मेरे।
अपने हाथ उठा‌ओ, द्वार पड़ा तेरे॥ ओम जय जगदीश हरे।


विषय-विकार मिटा‌ओ, पाप हरो देवा। स्वमी पाप हरो देवा।
श्रद्धा-भक्ति बढ़ा‌ओ, संतन की सेवा॥ ओम जय जगदीश हरे।

श्री जगदीशजी की आरती, जो कोई नर गावे। स्वामी जो कोई नर गावे।
कहत शिवानन्द स्वामी, सुख संपत्ति पावे॥ ओम जय जगदीश हरे।


यह आरती विशेष रूप से धार्मिक आयोजनों, पूजा-पाठ और मंदिरों में गाई जाती है। “ॐ जय जगदीश हरे” शब्दों से भगवान विष्णु की महिमा का उद्घोष होता है, और यह भजन सुनने और गाने से भक्तों को मानसिक शांति और आध्यात्मिक उन्नति मिलती है।

इस आरती का प्रभाव अत्यधिक होता है और यह मनुष्य के जीवन में सुख, समृद्धि और परमात्मा के प्रति भक्ति की भावना को जागृत करती है।

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