Shri Ganesh Ji Ki Aarti

श्री गणेशजी जी की आरती Shri Ganesh Ji Ki Aarti

श्री गणेशजी की आरती हिंदू धर्म में अत्यंत महत्वपूर्ण है। भगवान गणेश को विघ्नहर्ता और मंगलकर्ता माना जाता है। हर शुभ कार्य की शुरुआत गणेशजी की पूजा और आरती से की जाती है, ताकि सभी बाधाएं दूर हों और कार्य सफलतापूर्वक संपन्न हो।

॥ श्री गणेशजी की आरती ॥

जय गणेश, जय गणेश,जय गणेश देवा।

माता जाकी पार्वती,पिता महादेवा॥ x2

एकदन्त दयावन्त,चार भुजाधारी।

माथे पर तिलक सोहे,मूसे की सवारी॥ x2

माथे पर सिन्दूर सोहे,मूसे की सवारी॥

पान चढ़े फूल चढ़े,और चढ़े मेवा।

हार चढ़े, फूल चढ़े,और चढ़े मेवा।

लड्डुअन का भोग लगे,सन्त करें सेवा॥ x2

जय गणेश, जय गणेश,जय गणेश देवा।

माता जाकी पार्वती,पिता महादेवा॥ x2

अँधे को आँख देत,कोढ़िन को काया।

बाँझन को पुत्र देत,निर्धन को माया॥ x2

‘सूर’ श्याम शरण आए,सफल कीजे सेवा।

माता जाकी पार्वती,पिता महादेवा॥ x2

दीनन की लाज राखो,शम्भु सुतवारी।

कामना को पूर्ण करो,जग बलिहारी॥ x2

जय गणेश, जय गणेश,जय गणेश देवा।

माता जाकी पार्वती,पिता महादेवा॥ x2

गणेशजी की आरती भक्तों के लिए आस्था और श्रद्धा का प्रतीक है। आरती के दौरान भक्त गणेशजी के चरणों में दीप जलाकर भक्ति भाव से उनकी स्तुति करते हैं। यह आरती न केवल भगवान गणेश की कृपा पाने का माध्यम है, बल्कि यह मन की शांति और सकारात्मक ऊर्जा का संचार भी करती है।

गणेशजी की प्रसिद्ध आरती “जय गणेश, जय गणेश, जय गणेश देवा” हर भक्त की जुबान पर रहती है। इस आरती के माध्यम से भगवान गणेश के गुणों, लीलाओं और उनकी कृपा का वर्णन किया जाता है। आरती का पाठ करने से मन को सुकून मिलता है और जीवन में सफलता, समृद्धि, और सुख-शांति का अनुभव होता है।

गणेशजी की आरती को गाने से वातावरण में पवित्रता और ऊर्जा का संचार होता है, जिससे भक्तों को आध्यात्मिक अनुभव की प्राप्ति होती है।

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